Wednesday, August 19, 2009

जब गीदड़ कि मौत आती है...


कहते हैं की जब गीदड़ की मौत आती है तो वो शहर की तरफ़ भागता है।मगर आजकल ऐसा नही होता। शहर जंगल की तरफ़ भाग रहे हैं और रफ्तार भरे हाईवे गीदड़ की मौत का कारण बन रहे हैं। जी हाँ अब गीदड़ मरने के लिए शहर नही आता बल्कि सिर्फ़ हाईवे पार करने की कोशिश करता है।यकीन ना आए तो राष्ट्रीय राजमार्ग २४ या राष्ट्रीय राजमार्ग ९३ पर गुज़र कर देख लीजिये। गंगा और इस के आसपास के खादर के इलाके में हाईवे गीदडों के लिए यमदूत बन कर दौड़ रहे हैं।
अब ये लगभग रोजाना की ही बात हो गई है। कहने को तो गंगा के किनारे से करीब दस किलोमीटर की सीधी पट्टी को हस्तिनापुर वन्य जीव विहार का नाम दिया गया है। इस इलाके में नीलगाय, सांबर, गजेटिक डोल्फिन, गीदड़, हिरन, और विभिन्न प्रजाति के सौंप, इत्यादि विचरण करते नज़र आ जायेंगे। वन्य जीव विहार बनने से पहले तक भी शायद इनकी ज़िन्दगी में इतना खलल ना था। मगर अब तो इन सब ही की जान पर बन आई है। राष्ट्रीय राजमार्ग २४ को फोर लेन कर दिया गया है और अब इसे ६ लेन बनाए जाने की तय्यारी है। इस मौत के हाईवे पर ख़ुद इन्सान अपनी रफ़्तार का मारा आए दिन खून में डूबा नज़र आता है। उसकी अपनी मौत के पीछे कोई भी कारण हो मगर इंसान इस अनचाही मौत से बच सकता है। मगर इन बेजुबान जानवरों की कौन कहे। इन्हे हाईवे पर चलने के नियम कौन सिखायेगा? फिर ये बेचारे क्यों नियम सीखें भला? इन्हे तो आज़ादी से अपना जीवन गुजारने की आदत है। हम ने ना सिर्फ़ इनकी आजादी छीन ली है बल्कि अब तो इन्हे चैन से जीने भी नही दे रहे।
कम से कम हम इतना तो कर ही सकते थे की इन्हे आसानी से सड़क के पार जाने के लिए सुरक्षित रास्ता उपलब्ध करवा देते। पश्चिम के देशों में इस चीज़ का ख़ास ख्याल रखा जाता है। वहां तेज़ रफ़्तार हाईवे के किनारे फेंसिंग की जाती है ताकि भूले से कोई जानवर सड़क पर आकर अपनी तथा इंसान की मौत का कारन बने। साथ ही उन्हें आरपार गुजरने देने के लिए अंडर पास भी बनाये जाते हैं। मगर शायद हम अभी इतने सभ्य नही हैं कि जानवरों के बारे में सोचने में वक्त गवाएं। वैसे भी हमारी तेज़ रफ्तार होती ज़िन्दगी में इन फालतू बातों के लिए वक्त ही कहाँ है?
मगर इस सब में हम भूल जाते हैं कि जानवरों के साथ साथ हम अपनी ज़िन्दगी भी जोखिम में डाल रहे हैं। यकीन न आए तो राष्ट्रीय राजमार्गो पर इन जानवरों से टकराकर होने वाली मौत के आंकडे देख लो। मौत आने पर सिर्फ़ गीदड़ ही शहर कि तरफ़ नही भागता बल्कि इंसान भी जंगल होकर गुजरने वाला हाईवे पर जा पहुँचता है।