Friday, September 4, 2009

बेरंग पान, बेनूर होंट


अगर आप पान खाने के शौकीन हैं तो आपकी सेहत के साथ साथ जेब के लिए भी बुरी ख़बर है। मौसम की मार और बीमारी के चलते इस बार पान की फसल को काफ़ी नुकसान हुआ है। इसका सीधा असर बाज़ार में पान की कीमतों पर पड़ा है। आम तौर पर दो से तीन रूपये में बिकने वाले सादे पान के लिए अब आपको पॉँच से लेकर सात रूपये तक चुकाने पड़ सकते हैं।वरना तो बाज़ार में सौ से पाँच सौ रूपये तक बिकने वाले स्पेशल पान भी हैं, मगर उनका आम आदमी से कुछ ख़ास लेना देना नही है।
अब शायद ही कोई आप से नुक्कड़ तक चलकर पान खाने का इसरार करे। नुक्कड़ की रौनक कुछ धुंधली सी पड़ गई है और पान की दुकानों पर मरघट का सा सन्नत पसरा है। इसकी वजह पान की कीमतों में हुई भारी वृद्धि है। ज़ाहिर है आदमी बकरी की तरह खाली पत्तियां चबाकर तो खुश हो नही सकता। पान में और भी कई सारी चीज़ें डाली जाती हैं जो इसे ना सिर्फ़ लजीज बनाती हैं बल्कि कुछ मामलो में तो आयुर्वेदिक औषधि तक की श्रेणी में ला देती हैं।
पुराने समय में तो पान खाने को ना सिर्फ़ शान ओ शौक़त से जोड़ कर देखा जाता था बल्कि पान को एक लज़ीज़ व्यंजन की तरह परोसा भी जाता था। आज भी पान के कद्रदानों की संख्या कम नही है। मगर यही हाल रहे तो शायद ही कोई गंगा किनारे का छोरा पान की शान में कसीदे पढ़कर ठुमके लगाये। माशूका के होंटो की सुर्खी और नवाबी मिजाज के लोगो की नजाकत और नफासत भी मंहगे पान की भेंट चढ़ जाने वाली है। अब तो बस उम्मीद और दुआ ही की जा सकती के पान के दाम घाट जायें।

दरअसल इस साल पूरा उत्तर भारत भयंकर सूखे की चपेट में है। बादल बरसे मगर इतनी देर से की कई फसलो ने तो दम ही तोड़ दिया। अब भला नाज़ुक और नफीस पान इतनी गर्मी कैसे बर्दाश्त कर पाता सो आधी से ज़्यादा फसल चौपट हो गई। रही सही कसर पान में लगी गिन्दार और दूसरी बिमारिओं ने पूरी कर दी। उधर पिछले कुछ समय में कत्थे और छाली के दामो में काफ़ी वृद्धि हुई है। सो पान का पत्ता आम आदमी के बस से बाहर की दौड़ लगा रहा है।
अब पान खाकर इतराने का वक्त शायद निकल गया है। तम्बाकू का विरोध करने वाले शायद इस से खुश हों मगर तम्बाकू के बिना भी पान काफ़ी बिकता है। पान के चाहने वाले इस सदमे से उब़र पाएंगे भी या नही, कहा नही जा सकता। फिलहाल तो हम इस मुसीबत की घड़ी में उन्हें सांत्वना ही दे सकते हैं।

2 comments:

Udan Tashtari said...

लो, पान से भी गये!

Mithilesh dubey said...

बङे दुःख की बात है.......