Sunday, October 11, 2009

आओ लोहिया जी के लिए राजनीती राजनीती खेलें!!!


लोहिया जी की पुण्य तिथि है। आओ चलो राजनीती राजनीती खेलते हैं। इस से बेहतर श्रधांजलि हम उन्हें दे भी नही सकते। अब हमारे ज़माने में सिद्धांत, राजनैतिक मूल्य और राजनैतिक सोच जैसी चीज़ें तो बची नही हैं। ना ही हमारे पास लोहिया जैसी दृढ इच्छा शक्ति है और ना ही बुरे से लड़ने का साहस। तो फिर राजनीती राजनीती खेलने के सिवा हमारे पास बचा ही क्या है।
जाओ एक फोटो ले आओ। हाँ, एक दो चार आने की माला भी ले आना। बगैर माला तस्वीर ठीक नही रहेगी। मगर नही ठहरो! ऐसे तो पुण्य तिथि सूनी सूनी लगेगी। हमारे परण आदरणीय, समाजवादी उद्धारक एवं आधुनिक युग के परम समाजवादी चिन्तक, श्री श्री अमर सिंह जी महाराज इस सादगी से नाराज़ हो सकते हैं। भला ये भी कोई समाजवाद हुआ? उनका विचार है कि समाजवाद को पूंजीवाद के ख़िलाफ़ उठ खड़ा होना चाहिए। इसके लिए समाजवादी पाँच सितारा होटलों पर कब्जा कर लें। पूंजीवादियों से बेहतर रहन सहन कर लें।
ऐसे उत्तम विचार हो तभी समाजवाद तरक्की कर सकता है। बात में दम है। तभी तो लोहिया जी के परम शिष्य मुलायम जी भी उनसे सहमत हैं। यकीन ना आए तो पता कर लो जनेश्वर जी से। शायद ला मरिडियन में दिया अमर भय्या का भोज याद हो। उन्होंने मुलायम जी को उस अवसर बार समाजवाद की अचानक हुई तरक्की का ग़लती से बखान कर दिया था और दांत भी खाई। भला चांदी के पलते चम्मच पर सिर्फ़ पूंजीवादी क्यों काबिज़ रहे? समाजवाद को पत्तल और पट्टी के भोज से आगे जाना ही होगा। अकेले इंडिया ही शाईन क्यों करे, समाजवादी भी साथ आने ही चाहियें?
हाँ लोहिया जी भी होते तो बहुत खुश होते। उनके सिद्धांत रहे न रहे मगर समाजवादी वाकई तरक्की पर हैं । अब समजावाद कहीं कराहता है तो कराहता रहे। फिर भी जाने क्यों मन उदास है। क्यों लोहिया जी इस खुशी में हमारे साथ शरीक नही हैं? क्यों नही देखते कि अब राजनीति में शौर्य और पराक्रम कि ज़रूरत नही रही। समाजवादी, पूंजीवादियों को उन्ही के अस्त्र से जवाब दे रहे हैं। समाजवादिओं कि क्रय शक्ति भी अब कम नही रही। कितना खुश होते वो देखकर कि अब राजनीति में आने के लिए सड़कों का संघर्ष ज़रूरी नही रह गया है। अब चिंतन नही करना पड़ता और ना ही मूल्यों पर टिकने की आवश्यकता रह गई है।
अब सब कुछ इतना आसान हो गया है। तभी तो मै कहता हूँ ,आओ राजनीती, राजनीती खेलते हैं। देश और इंसानों से खेलने के बाद सब से ज़्यादा लोकप्रिय अब यही तो खेल रह गया है।

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