Wednesday, June 3, 2009

चुगली की महत्ता


चुगली लगाना कोई आसान काम नही मगर इस मगर कुछ लोगो को इसमे महारत हासिल है। अब हर कोई तो किसी कला का महारथी नही हो सकता। सो भगवान् नो कुछ खास लोगो को ही इस नेक काम के लिए चुना। इतिहास में सबसे पहले चुगलखोर के तौर पर नारद मुनि का नाम मिलता है। उनके समय में संचार माध्यमों का काफी अकाल था मगर उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर काफी नाम कमाया।


आधुनिक समय में पत्रकारों को इस कला के प्रचार प्रसार का श्रेय अवश्य ही दिया जाना चाहिए। बेचारे सुबह से लेकर शाम तक दिन रात एक किए रहते हैं । इस कार्य में उनकी पारंगता निश्चय ही उनके अनुभव पर निर्भर करती है।


चुगलखोरी की कला का सबसे बेहतर प्रयोग आधुनिक समय में राजनेता कर रहे हैं। प्राचीन दरबारी भी इसके लोक्महत्व से परिचित थे मगर उस समय में यह भांडगिरी से ज़्यादा आगे तक नही जा पाई। वैसे हर समय में अपने दुश्मन को ठिकाने लगाने के लिए चुगलखोरी का उपयोग आवश्यकता अनुसार किया जाता रहा है। आधुनिक राजनीति में आन दा रिकार्ड तथा आफ दी रिकार्ड जैसे शब्दों का प्रचलन काफी बढ़ा है। एक शातिर पत्रकार तथा चुगलखोरी की कला में पारंगत विद्वान् अपने हुनर के बल पर काफी नाम कमा सकता है। आफ दी रिकॉर्ड सुचना देने में हमारे नेताओं का कोई सानी नही। बस कोई उगलवाने वाला हो। उनकी इस कला से देश की तरक्की तथा हेराफेरी से कितना परदा उठता है यह शोध का विषय हो सकता है। बहरहाल आप साथ देते रहिये। यकीनन हम इस कला को नई बुलंदिया ही नही प्रदान करेंगे बल्कि नए नए आयाम भी तलाशेंगे। तो लगे रहिये और नई नई चुगलियाँ गढ़ने में मेरी सहायता कीजिये।

1 comment:

वीनस केसरी said...

पोस्ट फॉण्ट का कलर बदलिए,
महती कृपा होगी

वीनस केसरी