Friday, June 5, 2009

चीन का प्यार , चीनी कि मार


चुगलखोर को समाचार मिला है कि चीनी के दाम अभी और बढ़ेंगे। पहले से ही पच्चीस के पर जा चुकी चीनी का स्वाद कड़वा लग रहा था और अब तो चीनी का नाम सुनकर ही रूह काँप जाती है। चाय पिए अब दिन नही हफ्ते गुज़र जाते हैं। इधर सरकार भरोसा दिला रही है कि चीनी कि मिठास कायम रहेगी।

चीनी और चीन का हम भारतियों के साथ वैसे भी कुत्ते बिल्ली वाला रिश्ता है। आम हिन्दुस्तानी को पहले चीन सताता था, फिर चीनी सामान और अब चीनी। प्राचीन समय से ही भारत चीनी अतिक्रमण से परेशान रहा है। पहले चीन के राजवंश अपनी साम्राज्यवादी आवश्यकताओं कि पूर्ति के लिए यहाँ आते रहे। आधुनिक समय में हमने दोस्ती दुशमनी फ़िल्म कि तर्ज़ पर पहले दोस्ती कि फिर ज़ंग भी लड़ी। फिर से दोस्ती कायम हुई तो दरयादिली दिखाते हुए अपने बाज़ार चीनियों के लिए खोल दिए और ऐसा खोले कि हर तरफ़ चीनियों कि महामाया नज़र आती है। भारत कि कई कंपनियों ने अपना उत्पादन बंद कर चीनी सामान कि मार्केटिंग करने में ही भलाई समझी। चीज़ मेड इन चाइना बस क्वालिटी चेक कि मुहर लगाकर विशुद्ध भारतीय बना दी जाती है। आम हिन्दुस्तानी इस तरह के गोलमाल में कम ही दिलचस्पी लेता है। सो कोई कुछ भी बेच दे बाज़ार अपनी चाल से दौड़ता रहता है।

बात चीनी कि मिठास से शुरू कि गई थी। अब बाज़ार अपनी गति से दौड़ रहा है और चीनी उस से भी तेज़। मगर मांग है कि बस। हर किसी को चीनी चाहिए वो भी हर हाल में। अब वो चाहे खाने पीने में मिठास घोलने वाली चीनी हो या जीवन में मिठास घोलने वाला चीनी सामान। वैसे चुगलखोर ने अपनी तरफ़ से चीनी के बढ़ते दामो के कारण जानने कि काफ़ी कोशिश कि तो कुछ मजेदार बातें भी पता लगीं। अपने कृषि मंत्री देश के कुछ गिने चुने बड़े चीनी मिल मालिकों में से एक हैं। और तो और उनके राज्य में ही सिमटी उनकी पार्टी को चलने में चीनी मिल मालिको का काफ़ी बड़ा योगदान है । फिर तो चीनी के दाम बढ़ने में कोई बुरे नही।

इधर किसान काफी परेशान हैं। उन्हें उम्मीद थी कि चीनी के दाम बढ़ने से उन्हें फायदा होगा मगर ऐसा कुछ हुआ नही। गन्ने के दाम बढ़ना तो दूर पिछला भुगतान भी नही हो पा रहा। चीनी मिल घाटे का रोना अब भी रो रही हैं। यानी यहाँ भी आम आदमी पर चीनी कि मार। चुगलखोर कि भारत सरकार से मांग है कि चीनी मिलो को हो रहे घाटे कि रा तथा सी0बी0आई से जांच कराइ जाए ताकि इसमे चीन कि भूमिका साफ़ हो सके। वैसे देश से जुड़े अन्य मामलो कि तरह कहीं यहाँ भी तो आई0एस0आई का तो हाथ नही। वैसे भी चीनी पाकिस्तानी भाई भाई के अटूट रिश्ते में तो बंधे ही हैं। कम से कम भारत से जुड़े मामलो में तो ये निर्विविवादित सत्य है।

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