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संसद में स्वीट डिश...
आधी आबादी का दर्द सीने में पालकर भारत सरकार संसद में महिला आरक्षण बिल पास करवाने की जुगत में है। शरद यादव के बाद अब मुलायम सिंह यादव इसके विरोध में सामने आए हैं। इधर युवा एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगी कांग्रेस किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नही है। अब इन बूढे लोगों को क्या पता की महिला आरक्षण के कितने फायदे हैं।पकिस्तान के नेता प्रतिपक्ष रहे मौलाना फजलुर रहमान महिला आरक्षण का महत्व समझते हैं और महिलाओं से उलझने की कीमत भी । वो इसे लेकर काफी विवाद में फँस चुके हैं। ग़लती से एक बार सदन में मौजूद महिलाओ की तुलना स्वीट डिश से कर बैठे। फिर क्या था, जैसे मधु मक्खी के छत्ते में हाथ दे दिया हो। अब भला ये कोई कहने की बात थी। खामख्वाह पन्द्रह दिन तक शोर मचता रहा। वो बात अलग है इस बहने उनको भी रोज़गार मिल गया था वरना मुशर्रफ़ के ज़माने में उनकी दुकान ठंडी पड़ी थी।मुलायम सिंह का कहना है कि ये क़दम जमे जमाए नेताओं को बेरोजगार कर देगा। वो शायद भूल गए हैं कि अब ज़माना यूथ ब्रिगेड का है। विरोध करने से पहले एक बार अपने बेटे से तो पूछ ही लेते कम से कम । फिर मधुमिता शुक्ला और बबीता काण्ड के बाद महिलाएं वैसे भी जाग्रत हो गई हैं। नेता बेचारे भी तो इंसान हैं। अब सोचो सदन में एक भी महिला न हो तो? क्या ख़ाक किसी काम में दिल लगेगा । आप तो बूढे हो चले हो। बेचारे नौजवानों का दर्द तो समझो। वैसे भी कई कुंवारे हैं सदन में। जो दस बीस पचास जीत कर भी आई हैं वो या तो मौसी हैं या ताई। अब नौजवानों कि तादात के साथ सामंजस्य बिठाना है तो ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं को लाना ही होगा। ज़्यादा आयेंगी तो कुछ नव्युव्तियन भी होंगी ही। आख़िर देश कैसे तो चले।बहन बना रहे हैं पिछडी महिलाओं का। भाई आपने ही उन्हें क्या दिया? ज़्यादा से ज़्यादा टिकेट बाँट दिए होते तो आज ये दिन देखना ही ना पड़ता। आपने तो कह दिया नेता जी के सिर्फ़ पर कटी ही जीतेंगी। जीतने दो न। जीत जाएंगी तो पर भी आ ही जाएँगे। वैसे भी बेचारिओं के पर रहने ही कहाँ देते हैं आप लोग। जैसे तैसे घर से निकलती भी हैं तो हर चौराहे पर आप ही के भाई लोग पर काटने छांटने को तत्पर रहते हैं।इस बार तो नेता जी बाज़ी आप के हाथ से निकल ही गई है। जाने दो। वैसे भी काफ़ी सारे नए रेतिरेमेंट प्लान लॉन्च कर रही है सरकार। कोई एक अपना लो । आपका समय निकल गया है। जिनका समय है वो ख़ुद ही जूझ लेंगे इस बीमारी से। वैसे भी घर चलने में तो उनका रिकॉर्ड आपसे तो बेहतर ही है। हो सकता है देश का भी कुछ भला हो जाए।
1 comment:
bahut achha !
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