Monday, June 8, 2009

ओबामा की उलट बंसियां


बुश अंकल आजकल काफ़ी परेशान हैं। पता नही ये ओबामा को क्या हो गया है? जहाँ देखो अनाप शनाप बक आते हैं। एक तो पहले से ही छवि ख़राब थी अब पता नही कहीं मुह दिखाने लायक छोडेंगे भी या नही? अब देखो तो सही, अच्छा खासा मिस्र घूमने गए थे और जाने क्या अनाप शनाप बक आए?
दरअसल नए आए हैं और ऊपर से अमेरिका में बदलाव का नारा दे दिया। भाई बदलना है तो पहले अपने आपको बदलो। एक तो कहीं से अमेरिकी राष्ट्रपति नही लगते। न कोई ताम झाम न कोई दिखावा। बस चप्पल पहन कर निकल लिए। भाई भुट्टे खाओ या बर्गर किसी पर फर्क नही पड़ेगा बस थोड़ा अंत शांत न रहा करो। अपना नही तो आगे आने वालो का ही ख्याल रखो।
अब आपने तो कह दिया कि फिलिस्तीन और इस्राइल आपस में मामला सुलटा लें। ऐसे थोड़े ही न होता है। आपसे पहले वालो ने साठ साल से ज़्यादा मेहनत की, जैसे तैसे जमा जोड़ कर कब्जा किया और आप हैं के बस। आप को क्या मालूम डकैती डालना कितना मुश्किल काम है? पूरा मुल्क कोई ऐसे ही थोड़े बना दिया जाता है। फिर घर पर पूछ कर तो आना चाहए था । आपको चंदा देने वाले बिदक गए तो अगले चुनाव में पार्टी का बेडा और गर्क हो जाएगा।
एक साठ कई लोगो को नाराज़ कर लेना कहाँ की हिमाकत है भला? सेमुएल हटिंगटन ने जैसे तैसे सभ्यताओं मो भिडाने पर पुराण लिखे आप झगडा ही इनकार कर रहे हो? ऐसा कैसे हो सकता है भला? झगडा न होगा तो आपकी अर्थव्यवस्था कैसे चलेगी? पहले से ही दिवालिया हो रहे देश को क्यों डूबना चाहते हो भला?
कहीं ऐसा तो नही कोई नया शिगूफा ढूंढ लाये हो? आपके देश को फ़िर से अल काइदा की ज़रूरत तो नही सताने लगी? उनसे काम लेना है तो धर्म से बेहतर औजार हो ही नही सकता। जब तक पिछला झगडा न सुलटे अगली दोस्ती हो ही नही सकती। वो भी बेचारे आजकल काफ़ी परेशान हैं। अच्छे खासे पाकिस्तान को लपेट लिए होते आपने टांग अड़ा दी। चलो अच्छा ही है। किसी बहाने सही दोस्ती हो तो। इस से आपके देश में रोज़गार बढेगा और दुनिया भर से मंदी भी मिट ही जाएगी। भाई ज़ंग न हो तो आपके हथियार न बिकें। ऐसी हालत में आपका धंधा तो मंदा ही रहेगा। वैसे भी पुराने दोस्त ही आदे वक्त में काम आते हैं।
सब कुछ ठीक ठाक चला तो जल्द ही आपसे किसी नए युद्घ स्थल पर मुलाक़ात होगी। देखते हैं आपके पुँराने दोस्त आपको कितनी तवज्जो देते हैं।

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